–> हे सूर्यदेव ! हमें अपनी किरणों से तप कर शुद्ध कीजिए और हमरे
अंतर्चक्षुओं की रोशनी बढ़ाइए |
–> हे चंद्रदेव ! अपनी चाँदनी से शीतल करके, हमारे क्रोध व अहंकार को नष्ट
कीजिए |
–> हे पवनदेव ! अपने वेग से हमरे रोग-द्वेष तथा लोभ को फ़ना कर दीजिए|
–> हे वरुणदेव ! अपने पवित्र जल से हमारे तन-मन को खंगाल कर, निर्मल
कर दीजिए |
–> हे आकाश्देव ! हमारे झूठ अहम् और आक्रोश को निकलकर, अपने विशाल
व्योम से तिरोहित कर दीजिए |
–> हे धरती माता ! हमें अपने जैसी सहन शक्ति दे दीजिए ताकि हम हर
आघात को अत्मसूत कर सकें |
–> हे पूर्वजगण ! हमें अपने सारे अच्छे-अच्छे गुण प्रदान कीजिए ताकि हम
दूसरों की भलाई कर सकें |
–> हे गुरुजन ! हमें सद्बुद्धि दीजिए ताकि हम अपने दुगुणों को नष्ट कर सकें |
–> हे निराकार ! हमें एकाग्र व ध्यान का मार्ग सुझाइए ताकि हम मोक्ष प्राप्त
कर सकें |
–> हे त्रिदेव ! आपसे यही प्रार्थना है कि हम हमारे विवेक तथा नैतिकता को
सदा जागृत रख सकें |
आनन्द अरोड़ा