Ø मानव जीवन का दारोमदार मन के विचारों पर ही टिका हुआ है |
Ø जहां दो व्यक्ति होंगे वहां – होड तो होगी, होनी भी चाहिए |
Ø ये प्रतिस्पर्द्धा ही हमें एक दूसरे से आगे निकलने कि प्रेरणा देती है |
Ø जहां मुकाबला नहीं है, वहां तरक्की भी नहीं होती है |
Ø आज हर व्यक्ति अपने प्रतिद्वंदी से आगे बढ़ने के लिए कई हत्कंडे
अपनाते हैं, ये बात उचित नहीं है|
Ø हमें अपने प्रतिद्वंदी से अच्छा काम करके उससे आगे निकलने का
प्रयत्न करना चाहिए |
Ø ऐसा नहीं करें कि उन्नति कि दौड़ में, आपके पीछे आने वाले को लात
मार दें और आगे दौड़ने वाले का गला दबा दें |
Ø सकारात्मक, विचार रखते हुए सबसे प्यार करें, उनकी मदद करें, यह
मानवता है |
Ø आज हर क्षेत्र में भरपूर प्रतिस्पर्द्धा है, आगे वाही निकलता है जो पूरे मन
से कार्य करता है |
Ø अपने प्रतिभागियों को भी साथ लेकर चलने वाला, समाज में मान-
सम्मान व प्यार पाता है |
आनन्द अरोड़ा