Since 1990Anand Udyog Jodhpur

Ø मानव जीवन का दारोमदार मन के विचारों पर ही टिका हुआ है |

Ø जहां दो व्यक्ति होंगे वहां – होड तो होगी, होनी भी चाहिए |

Ø ये प्रतिस्पर्द्धा ही हमें एक दूसरे से आगे निकलने कि प्रेरणा देती है |

Ø जहां मुकाबला नहीं है, वहां तरक्की भी नहीं होती है |

Ø आज हर व्यक्ति अपने प्रतिद्वंदी से आगे बढ़ने के लिए कई हत्कंडे

  अपनाते हैं, ये बात उचित नहीं है|

Ø हमें अपने प्रतिद्वंदी से अच्छा काम करके उससे आगे निकलने का

  प्रयत्न करना चाहिए |

Ø ऐसा नहीं करें कि उन्नति कि दौड़ में, आपके पीछे आने वाले को लात

  मार दें और आगे दौड़ने वाले का गला दबा दें |

Ø सकारात्मक, विचार रखते हुए सबसे प्यार करें, उनकी मदद करें, यह

  मानवता है |

Ø आज हर क्षेत्र में भरपूर प्रतिस्पर्द्धा है, आगे वाही निकलता है जो पूरे मन

  से कार्य करता है |

Ø अपने प्रतिभागियों को भी साथ लेकर चलने वाला, समाज में मान-

  सम्मान व प्यार पाता है |

आनन्द अरोड़ा

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